हम अकेले ही चले थे अपनी ऱाहो को सवाँरने के लिए,
कुछ दोसत बनाए थे,राहो के निशाँ बताने के लिए,
वकत का रूख कुछ बदला एेसे कि हम ने तो बस बताए थे निशाँ,
पर इन दोसतो ने हमारी राहो को ही आसाँ कर दिया
कुछ दोसत बनाए थे,राहो के निशाँ बताने के लिए,
वकत का रूख कुछ बदला एेसे कि हम ने तो बस बताए थे निशाँ,
पर इन दोसतो ने हमारी राहो को ही आसाँ कर दिया