कया पता कल यह सुबह हमारी हो...ना हो...
बस तुम खुश रहो दोसतो...यह जिनदगी फिर हो...ना हो...
शुभ रात्री.....
बस तुम खुश रहो दोसतो...यह जिनदगी फिर हो...ना हो...
शुभ रात्री.....
दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...