तुमहारे रूखसत होते ही,बहुत टूटे है हम.जिस जिस पे भरोसा किया,उन सब ने तोडा है
हमे.हर रिशते को हम मे खामिया नजर आई है,इलजाम हम पर लगा कर,खुद ही
धोखा देते है लोग.अब तो किसी रिशते पे यकीं करते ही नहीं..इतने दरद के बाद,डरते
है इतना कि अपने साए पर भी यकीं नही करते
हमे.हर रिशते को हम मे खामिया नजर आई है,इलजाम हम पर लगा कर,खुद ही
धोखा देते है लोग.अब तो किसी रिशते पे यकीं करते ही नहीं..इतने दरद के बाद,डरते
है इतना कि अपने साए पर भी यकीं नही करते